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रामदेव सिंह महरिया सक्षम और दूरदर्शी नेता थे

शेखावाटी अंचल के सीकर जिले के कद्दावर राजनेता रहे स्वर्गीय रामदेव सिंह महरिया की आज जन्म जयंती है. पांच दशक से अधिक समय तक महरिया परिवार का राजनीतिक प्रभाव न केवल सीकर जिले में, बल्कि पूरे प्रदेश में मजबूती से स्थापित रहा. महरिया एक सक्षम और दूरदर्शी नेता होने के साथ-साथ संकट के समय डटकर साथ देने वाले सियासतदान के रूप में भी पहचाने जाते थे.

उनके लगभग 60 वर्षों के लंबे राजनीतिक जीवन से जुड़े अनेक प्रसंग हैं, लेकिन आज दो ऐसे महत्वपूर्ण किस्से उल्लेखनीय हैं, जिनसे वर्तमान राजनीति को भी प्रेरणा लेनी चाहिए.

पहला प्रसंग वर्ष 1977 का है. देश में आपातकाल के बाद हुए आम चुनावों में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा और पहली बार केंद्र में गैर-कांग्रेसी सरकार बनी. इस दौर में देश की सर्वशक्तिमान नेता मानी जाने वाली स्व. इंदिरा गांधी के राजनीतिक जीवन के सबसे कठिन दिन शुरू हुए. कांग्रेस के कई दिग्गज नेता जनता पार्टी में शामिल हो गए और जो पार्टी में रह गए, वे भी इंदिरा गांधी से दूरी बनाने लगे. ऐसे माहौल में स्व. रामदेव सिंह महरिया ने सीकर में इंदिरा गांधी को आमंत्रित करने का साहसिक निर्णय लिया. इस फैसले पर राजस्थान के अनेक बड़े नेता पीछे हट गए, लेकिन महरिया अपने निर्णय पर अडिग रहे. उनके बुलावे पर इंदिरा गांधी सीकर पहुंचीं. यह प्रसंग इस बात का प्रमाण है कि महरिया बुरे वक्त में भी अपने नेता का साथ निभाने वाले नेता थे, जो आज की राजनीति में दुर्लभ होता जा रहा है.

दूसरा महत्वपूर्ण प्रसंग भी वर्ष 1977 से जुड़ा है. जब देश में सत्ता परिवर्तन हुआ, तो राजस्थान में भी स्व. भैरोंसिंह शेखावत के नेतृत्व में पहली बार गैर-कांग्रेसी सरकार का गठन हुआ. शेखावत और महरिया के बीच गहरी मित्रता थी. मुख्यमंत्री बनने के बाद शेखावत ने महरिया से स्पष्ट कहा कि वे बिना संकोच अपने जिले और क्षेत्र के हित में सुझाव दें.  इसी विश्वास के आधार पर महरिया ने मुख्यमंत्री शेखावत से कहा—“ठाकुर साहब, आप आज मुख्यमंत्री हैं तो सीकर जिले को सम्पूर्ण रूप से विद्युतीकरण की सौगात दे दीजिए.” शेखावत ने इस मांग को तत्काल स्वीकार किया और घोषणा के साथ ही कार्य शुरू हुआ. परिणामस्वरूप सीकर, राजस्थान का पहला पूर्ण रूप से विद्युतीकृत जिला बना.

आज के दौर में जब राजनीति में जातिवाद, अवसरवाद और एक-दूसरे को नीचा दिखाने की होड़ हावी है, ऐसे प्रसंग किसी किंवदंती से कम नहीं लगते. स्व. रामदेव सिंह महरिया का राजनीतिक जीवन निष्ठा, साहस और जनहित की राजनीति का एक प्रेरक उदाहरण है.