जयपुर : इंटरनेट पर बढ़ते डीप फेक और फेक न्यूज की चुनौती से प्रभावी ढंग से निपटने के उद्देश्य से इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस (ISB) हैदराबाद और राजस्थान पुलिस के संयुक्त तत्वावधान में मंगलवार को राजस्थान पुलिस अकादमी के नालंदा सभागार में मीडियाकर्मियों के लिए विशेष कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला का मकसद मीडिया और पुलिस को उभरती डिजिटल तकनीकों के माध्यम से ऑनलाइन प्रसारित भ्रामक सामग्री की पहचान और रोकथाम के लिए सक्षम बनाना था।
फेक न्यूज ‘इनफॉर्मेशन वॉर’ का हथियार : डीजीपी राजीव शर्मा
कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए महानिदेशक पुलिस राजीव शर्मा ने कहा कि डिजिटल युग में पुरानी घटनाओं को नए स्वरूप में पेश कर कुछ ही क्षणों में लाखों लोगों तक गलत सूचना पहुंचाई जा रही है। उन्होंने फेक न्यूज को ‘इनफॉर्मेशन वॉर’ का खतरनाक टूल बताते हुए कहा कि इसके कारण कानून-व्यवस्था बिगड़ने से लेकर मानसिक प्रताड़ना और वित्तीय धोखाधड़ी तक कई गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।
डीजीपी शर्मा ने बताया कि देश में 9 मिलियन से अधिक इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं, जिनमें करीब 34 प्रतिशत नियमित सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं। उन्होंने कहा कि 18 से 24 वर्ष की युवा आबादी सबसे अधिक प्रभावित होती है और इसी वर्ग को अधिक जागरूक करने की जरूरत है।
मीडिया से फैक्ट-चेकिंग पर जोर
डीजीपी शर्मा ने मीडिया से अपील की कि ‘ब्रेकिंग न्यूज’ की प्रतिस्पर्धा में तथ्य-जांच को नज़रअंदाज़ न किया जाए, क्योंकि एक गलत खबर समाज में गहरे स्तर पर नुकसान पहुंचा सकती है। उन्होंने कहा कि मीडिया और पुलिस दोनों को मिलकर तकनीक का सही उपयोग करना चाहिए और शंका की स्थिति में परस्पर समन्वय को प्राथमिकता देनी चाहिए, ताकि सच्चाई बिना विकृति के आमजन तक पहुंचे।
ISB विशेषज्ञों का प्रशिक्षण, पुलिस अधिकारियों की व्यापक मौजूदगी
राजस्थान पुलिस अकादमी के ऑडिटोरियम में आयोजित इस कार्यशाला में बड़ी संख्या में पत्रकारों और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसरों ने भाग लिया। ISB की ओर से प्रोफेसर मनीष गंगवार और मेजर विनीत कुमार के नेतृत्व में विशेषज्ञ टीम ने मीडियाकर्मियों को डीप फेक की पहचान के लिए उपलब्ध उन्नत AI टूल्स का प्रशिक्षण दिया।
कार्यक्रम में डीजी (साइबर क्राइम एवं लॉ एंड ऑर्डर) संजय अग्रवाल, पुलिस अकादमी के निदेशक एवं एडीजी संजीब नार्जारी, एडीजी (साइबर क्राइम) वी.के. सिंह, आईजी अजय पाल लांबा, डीआईजी कुंवर राष्ट्रदीप, एसपी राशि डोगरा और शांतनु सिंह सहित वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मौजूद रहे।
इस कार्यशाला को डिजिटल युग में सूचना की विश्वसनीयता को सुरक्षित बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है।