राजस्थान कांग्रेस संगठन में समय–समय पर ब्राह्मण, जाट, राजपूत, महाजन मूल ओबीसी और कायस्थ समाज के नेताओं को प्रदेश अध्यक्ष (PCC Chief) बनने का अवसर मिला है। लेकिन आज तक अनुसूचित जाति (SC) और जनजाति (ST) वर्ग से किसी नेता को यह जिम्मेदारी नहीं मिली।
हालांकि, एक दौर ऐसा भी था जब अनुसूचित जाति समाज से अध्यक्ष बनने की गंभीर चर्चा हुई थी। प्रदेश कांग्रेस में लंबे समय तक प्रभावी महासचिव रहे सूरज खत्री बताते हैं कि वर्ष 2001–2002 में अजा वर्ग से मास्टर भंवरलाल मेघवाल को PCC Chief बनाने पर गंभीर विचार हुआ था। उस समय मास्टर मेघवाल गहलोत सरकार में मंत्री थे और दिल्ली नेतृत्व की ओर से उन्हें अध्यक्ष बनाने का संकेत भी भेजा गया था।
सूरज खत्री के अनुसार, वे अहमद पटेल का संदेश लेकर मास्टर जी के पास पहुंचे थे। मास्टर मेघवाल ने अध्यक्ष पद स्वीकार करने की इच्छा तो जताई, लेकिन साथ ही यह शर्त रख दी कि वे मंत्री पद पर बने रहना चाहेंगे। जबकि दिल्ली नेतृत्व उन्हें केवल संगठन की जिम्मेदारी देना चाहता था। यह शर्त मान्य न होने पर मामला आगे नहीं बढ़ा और अनुसूचित जाति वर्ग से अध्यक्ष बनने का ऐतिहासिक अवसर हाथ से निकल गया।
वर्तमान परिदृश्य की बात करें तो निकट भविष्य में SC–ST वर्ग से PCC अध्यक्ष बनने की संभावनाएँ कम ही दिखाई देती हैं। हालांकि, सियासी गलियारों में कथित समीकरणों के तहत प्रतिपक्ष के नेता टीकाराम जूली का नाम कभी–कभार दबी ज़ुबान से जरूर लिया जाता है।
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