बाल मुकुंद जोशी
सीकर ज़िले का छोटा सा गांव बामणवास खंडेला इन दिनों सुर्खियों में है। वजह — गांव ने एक साथ आठ चार्टर्ड अकाउंटेंट देकर नई मिसाल कायम कर दी। खास बात यह कि इनमें गांव की पहली महिला सीए ने भी स्थान बनाया है।
नेहा शर्मा, जो मामराज शर्मा की सुपुत्री हैं, गांव की पहली महिला सीए बन गई हैं। वहीं यश शर्मा, श्री विश्वनाथ शर्मा के पुत्र, परिवार के चौथे सीए बनकर गांव और समुदाय के लिए नई उपलब्धि लेकर आए हैं।
दरअसल यह सफलता किसी रातों-रात की कहानी नहीं, बल्कि तीन दशक पहले बोए गए सपने का फल है। वर्ष 1987 में विनोद शर्मा ने गांव से पहले सीए उम्मीदवार के रूप में इस क्षेत्र में कदम रखा था। उनके बाद नरेश शर्मा, फिर नवीन शर्मा, अमित शर्मा, वरुण डोरवाल और आशीष शर्मा ने गांव में शिक्षा की इस धारा को और गहरा किया। और अब यह संख्या बढ़कर 8 तक पहुंच गई है।
गांव के ये युवा सिर्फ अपने परिवार नहीं, पूरे समाज के लिए प्रेरणास्रोत बन गए हैं। उनके प्रयासों ने साबित किया है कि छोटे गांवों से निकलकर भी बड़े सपने पूरे किए जा सकते हैं — शर्त बस लगन, मेहनत और लक्ष्य की स्पष्टता हो।
बामणवास खंडेला सिर्फ वाणिज्य क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि डॉक्टर, इंजीनियर, शिक्षक और चिकित्सा पेशेवर जैसे क्षेत्रों में भी प्रतिभा साबित करता रहा है। गांव से निकले नामचीन गैस्ट्रोएन्टेरोलॉजिस्ट डॉ. सुधीर महर्षि इसकी एक जीवंत मिसाल हैं।
गांव के युवाओं की यह उपलब्धि इस बात की गवाही देती है कि शिक्षा के दम पर बदलाव की ताकत अब गांव-गांव में जन्म ले रही है।