जोधपुर : पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मंगलवार को जैसलमेर में हुए दर्दनाक बस हादसे के घायलों और परिजनों से महात्मा गांधी अस्पताल, जोधपुर में मुलाकात की। उन्होंने घायलों का हाल जाना और चिकित्सकों से उनके उपचार की जानकारी ली।
परिजनों से बातचीत के बाद गहलोत ने कहा कि मृतकों के परिवार बेहद व्यथित हैं और डीएनए जांच में देरी को लेकर आक्रोशित हैं। उन्होंने कहा, “लोग कह रहे हैं हमें हमारी बॉडी दो, मगर मालूम नहीं कौन सी बॉडी हमारी है। डीएनए टेस्ट जल्दी होना चाहिए — यही उनकी सबसे बड़ी मांग है।”
गहलोत ने बताया कि उन्होंने हादसे से जुड़े मामलों पर प्रशासनिक अधिकारियों से चर्चा की और मुआवजे की प्रक्रिया में तेजी लाने के निर्देश दिए। उन्होंने सर्किट हाउस में जोधपुर प्रशासन के अधिकारियों के साथ बैठक कर राहत व्यवस्था की समीक्षा भी की।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि इतनी बड़ी दुर्घटना क्यों हुई, इसकी निष्पक्ष जांच आवश्यक है। “सरकार को जांच करवानी चाहिए कि बस की फिटनेस किसने दी, गाड़ी कहाँ से आई और उसमें क्या खामियां थीं। जब तक सच्चाई सामने नहीं आएगी, तब तक ऐसी घटनाएं दोहराई जा सकती हैं,” उन्होंने कहा।
मुआवजे को लेकर गहलोत ने नाराजगी जताई कि अभी तक राज्य सरकार की ओर से कोई ठोस घोषणा नहीं की गई है। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री राहत कोष से दो लाख रुपये की घोषणा हुई है, पर मुख्यमंत्री को चाहिए कि वे अधिकतम मुआवजा दें। बस यात्रियों की कोई गलती नहीं थी, उन्हें पूरा हक मिलना चाहिए।”
इस मौके पर नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली, पूर्व केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह, बाड़मेर-जैसलमेर सांसद उम्मेदराम बेनीवाल समेत कांग्रेस के कई कार्यकर्ता भी मौजूद रहे।
गहलोत ने कहा कि इस तरह की दुखद घटनाओं पर संवेदना जताना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि सरकार को आगे बढ़कर ठोस कदम उठाने होंगे ताकि भविष्य में ऐसे हादसे न हों।