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डीयू छात्रसंघ चुनाव में राजस्थान के नेताओं की बढ़ी दखलअंदाजी "Increasing Interference of Rajasthan Leaders in DU Student Union Elections"


▪︎ बाल मुकुंद जोशी

दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ (DUSU) चुनाव इस बार सिर्फ कैंपस की सरगर्मी तक सीमित नहीं है। राजस्थान में छात्रसंघ चुनावों पर रोक के चलते युवा राजनीति में सक्रिय कई नेताओं ने डीयू को अखाड़ा बना लिया है। इसकी वजह से नतीजों से पहले ही सियासत का पारा चढ़ गया है।

युवाओं की राजनीति को अपनी प्रयोगशाला मानने वाले कांग्रेस नेता सचिन पायलट सबसे ज्यादा सक्रिय दिख रहे हैं। हालांकि, उनकी पसंद के नेता और एनएसयूआई अध्यक्ष वरुण चौधरी ने टिकट बंटवारे में जिस तरह ‘खेल’ किया, उसने संगठन के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। कल खुद पायलट को कैंपस में इस असंतोष की झलक देखने को मिली।

इधर टिकट को लेकर उठा विवाद उमांशी लांबा को बागी तेवर अपनाने का मौका दे रहा है। उन्हें हनुमान बेनीवाल खेमे का समर्थन मिल गया है। ऐसे समीकरण नतीजों पर गहरा असर डाल सकते हैं। ऊपर से ‘जादूगर फैक्टर’ का खुलासा होना अभी बाकी है। इस बीच सोशल मीडिया पर चर्चित ‘फ्लाइंग रानी’ और अध्यक्ष पद की उम्मीदवार जोसलीन चौधरी नंदिता, नए समीकरणों के चक्रव्यूह में फंसती नजर आ रही हैं।

दूसरी ओर, एनएसयूआई के अंदरूनी घमासान का फायदा उठाने के लिए एबीवीपी ने भी पूरा जोर लगा दिया है। राजस्थान के मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा और हरियाणा प्रभारी सतीश पूनिया ने खुद कैंपस में मोर्चा संभाल लिया है। संकेत साफ हैं कि एबीवीपी इस बार जीत को हाथ से जाने देने के मूड में नहीं है।

कुल मिलाकर, डीयू चुनाव में आज और कल का दिन बेहद अहम है। बड़े नेताओं की एंट्री के साथ न सिर्फ नए दांव-पेंच सामने आएंगे, बल्कि छात्र राजनीति के इस अखाड़े में कई नेताओं की राजनीतिक हैसियत भी तौली जाएगी।