बाल मुकुंद जोशी
जयपुर : राजस्थान के मुख्य निर्वाचन आयुक्त मधुकर गुप्ता ने मंगलवार देर शाम पंचायती राज एवं नगरीय निकाय चुनावों को लेकर ऐसा बयान दिया, जिसने भजनलाल सरकार और भाजपा नेतृत्व को असहज स्थिति में ला खड़ा किया है। गुप्ता ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि “प्रदेश में वन स्टेट वन इलेक्शन व्यवहारिक रूप से संभव नहीं है और एक साथ चुनाव कराना फिलहाल मुमकिन नहीं है।”
इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी कहा कि अगले दस दिनों के भीतर पंचायती राज एवं स्थानीय निकायों के चुनावों की घोषणा कर दी जाएगी। जिन निकायों और पंचायतों का कार्यकाल पूरा हो चुका है, वहां आगामी दो महीनों के भीतर चुनाव कराए जाएंगे।
चुनाव आयुक्त के इस बयान के बाद भाजपा की उस रणनीति पर सवाल खड़े हो गए हैं, जिसमें ‘वन स्टेट वन इलेक्शन’ को प्रमुख चुनावी संकल्प के रूप में जनता के सामने रखा गया था। स्वयं नगरीय निकाय एवं स्वायत्त शासन राज्य मंत्री झाबरसिंह खर्रा से लेकर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा तक अनेकों मंचों से यह घोषणा कर चुके हैं कि सरकार अपने संकल्प के अनुसार एक साथ चुनाव कराएगी।
लेकिन, मुख्य निर्वाचन आयुक्त की दो टूक टिप्पणी ने सरकार और सत्तारूढ़ दल भाजपा के इस दावे को हवा में उड़ा दिया है। राजनीतिक हलकों में इसे सरकार के लिए करारा झटका माना जा रहा है।
सूत्रों का कहना है कि भजनलाल सरकार अब इस मुद्दे पर बचाव की मुद्रा में नजर आ रही है। विपक्ष ने भी बयान को लपकते हुए सरकार पर जनघोषणा पत्र से पलटने का आरोप लगाया है।
अब देखना यह होगा कि सरकार अगले दस दिनों में चुनाव कार्यक्रम घोषित होने से पहले क्या रुख अपनाती है और ‘वन स्टेट वन इलेक्शन’ को लेकर अपना पक्ष किस तरह स्पष्ट करती है।