राजस्थान के झालावाड़ जिले के मनोहरथाना ब्लॉक स्थित पीपलोदी गांव में शुक्रवार सुबह एक सरकारी स्कूल की बिल्डिंग ढह गई। इस भयावह हादसे में सातवीं कक्षा के 6 मासूम छात्रों की मौत हो गई, जबकि 30 से ज्यादा गंभीर रूप से घायल हुए हैं। हादसे के वक्त कक्षा में कुल 35 छात्र मौजूद थे।
ग्रामीणों और स्कूल स्टाफ की मदद से रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया। कई बच्चों को गंभीर हालत में जिला अस्पताल रेफर किया गया है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने घटना पर दुख जताते हुए जांच के निर्देश दिए हैं।
बारिश बनी काल: जर्जर कमरे की दीवार ढही
पीपलोदी के ग्रामीणों के अनुसार, लगातार बारिश के कारण स्कूल की इमारत पहले से ही कमजोर हो चुकी थी। स्कूल में कुल 7 कमरे हैं और हादसे के वक्त दो कक्षाओं में पढ़ाई चल रही थी। 7वीं कक्षा के बच्चे जिस कमरे में थे, वहीं सबसे बड़ा नुकसान हुआ।
गनीमत रही कि दोनों शिक्षक बाहर थे। सुबह करीब 8 बजे तेज धमाके की आवाज के साथ इमारत का एक हिस्सा गिर गया।
6 बच्चों की मौत, 11 गंभीर हालत में जिला अस्पताल रेफर
मृतकों में शामिल हैं:
- पायल (14) पुत्री लक्ष्मण
- प्रियंका (14) पुत्री मांगीलाल
- कार्तिक (8) पुत्र हरकचंद
- हरीश (8) पुत्र बाबूलाल
- मीना रेदास
- एक अन्य की पहचान नहीं हो सकी है
गंभीर घायलों में शामिल:
- कुंदन (12), मिनी (13), वीरम (8), मिथुन (11), आरती (9), विशाल (9), अनुराधा (7), राजू (10), शाहीना (8)
(सभी को झालावाड़ जिला अस्पताल रेफर किया गया है)
स्कूल में पसरा मातम, बिखरे पड़े किताब-कॉपी
हादसे के बाद स्कूल परिसर में बच्चों की किताबें, बैग और चप्पलें इधर-उधर बिखरी नजर आईं। ग्रामीणों ने बताया कि बच्चे चीखते-चिल्लाते मलबे में दबे थे। स्थानीय लोगों ने बिना देरी किए राहत कार्य शुरू किया।
एक ग्रामीण ने कहा, “ऐसा दृश्य जिंदगी में कभी नहीं देखा, बच्चे रोते-बिलखते मलबे के नीचे थे। किसी के हाथ में खून, किसी के सिर पर चोट... हम कांप उठे।”
मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री ने जताया शोक
राज्य के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने घटना पर शोक व्यक्त करते हुए हादसे की जांच के निर्देश दिए हैं। वहीं, शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा, “यह अत्यंत दुखद घटना है। दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी और सभी घायलों का इलाज सरकार की ओर से कराया जाएगा।”
गांव वालों की मांग: जिम्मेदार अफसरों पर हो कार्रवाई
ग्रामीणों का आरोप है कि स्कूल बिल्डिंग की स्थिति लंबे समय से खराब थी, लेकिन प्रशासन ने इसे नजरअंदाज किया। अब जब मासूमों की जान गई है, तो जांच और मुआवजे की बात हो रही है।
यह कोई सामान्य हादसा नहीं, बल्कि सिस्टम की लापरवाही से उपजा त्रासदी है। जिनके घर के चिराग बुझ गए, उनके लिए यह जख्म हमेशा ताजा रहेगा।