■ बाल मुकुंद जोशी
भाजपा काफी अर्से से कांग्रेस के मजबूत गढ शेखावाटी में सेंध मारने की भरपूर कोशिश कर रही है. इन प्रयासों में यदा-कदा सफलता भी मिलती है लेकिन जाट बिरादरी को अपने पक्ष में पूरी तरह लामबंद करने में पार्टी के रणनीतिकारों को अभी पापड बेलने पड़ रहे है.
बीजेपी ने कल शेष बचे चार जिलाध्यक्ष के नामों की कल घोषणा कर दी. जिनमें तीन जिलों में महिलाओं को अध्यक्ष बनाया गया है. जिनमे से एक है झुंझुनूं जिला. पार्टी ने यहां परिवारवाद को आत्मसात करते हुए पूर्व सांसद नरेंद्र कुमार की पुत्रवधु और जिला प्रमुख हर्षीनी कुल्हरी को जिले की पहली महिला अध्यक्ष बनाया. इसके पीछे आधी आबादी को साधने की जरूरत तो पूरी की ही
गई है साथ-साथ जिले की दूसरी नेत्री पूर्व सांसद संतोष अहलावत को भी बैलेंस करने की मंशा जताई गई है.
बहरहाल दिग्गज नेता स्व. शीशराम ओला के परिवार की सियासत को जबाव देने के लिए हर्षीनी पर भाजपा ने दाव खेला है. ओला के सुपुत्र बृजेंद्र ओला अभी झुंझुनूं से सांसद है. भाजपा आने वाले महीना में पंचायत चुनाव के लिए भी जाजम बिछा रही है लेकिन इस खेल में कही भाजपा के साथ वो कहावत न चरितार्थ हो जाये जिसमे कहा गया है "चौबे जी छब्बे जी बनने गये लेकिन दुबे जी बनकर आ गये."
दरअसल जाटों में पैठ कायम करने के चक्कर में बीजेपी का मूल वोट बैक दरक सकता है! राजपूत,ब्राह्मण और मूल ओबीसी जिले के भाजपा संगठन में हो रहे बदलाव को गंभीरता से ले रहा है. इसके अलावा ताबडतोड राजनीति करने वाले राजेंद्र गुढा की जिला स्तर पर सक्रियता काबिलेगौर है.