■ बाल मुकुंद जोशी
शिक्षा नगरी सीकर में दो कोचिंग संस्थान के मुखिया एक-दूसरे के वर्चस्व को पूरी तरह नेस्तनाबूद करने में शिद्दत से जुट गये है.आने वाले दिनों में 'गुरूओं के गुरूर' की प्रतिष्ठा जंग आम अवाम को देखने और सुनने को मिल सकती है.
सीकर को एजुकेशन हब की शौहरत दिलाने का श्रेय ई.श्रवण को जाता है. जो बाँस के नाम से ख्यातनाम है. 31 जनवरी 1996 को उन्होंने कैरियर लाइन कोचिंग (CLC) की स्थापना की थी.आज जो हम सीकर में शिक्षा विस्तार का जो दृश्य देख रहे हैं, उस वक्त यह सपना लगता था लेकिन श्रवण चौधरी ने टीम के साथ जी-तोड़ मेहनत की. जिसके परिणाम स्वरूप कोंचिग के मामले में कोटा की पैठ को तगड़ी चुनौती मिली.
देखते-देखते कोचिंग व्यवसाय से चांदी बरसने लगी. जिसकी खनक से बाँस की टीम बिखर गई और पैदा हो गया नया संस्थान "गुरुकृपा" जिसके प्रमुख बने प्रदीप बुडानिया. इनकी अगुवाई में न केवल संस्थान ने जड़ें जमाना शुरू किया बल्कि नए नए कोचिंग इंस्टिट्यूट भी खुलने लगे. जब संभावनाए प्रबल होती है तो कोटा की मशहूर एलन संस्थान ने भी यहां शाखा खोली. इसके अलावा प्रिंस, मैट्रिक्स समेत कई संस्थान सीकर का गौरव बढ़ा रही है.
जाहिर है जब प्रतिस्पर्धा तेज और अंधी होती है तो एक तरह के व्यवसाय करने वालों में तनातनी होना लाजमी है. #neetresult में इस बार गुरुकृपा का छात्र महेश केशवानी देश भर में टॉपर रहा है. इस नतीजे से बेहद अति उत्साहित प्रदीप बुडानिया ने ईशारे-ईशारे में बाँस पर तंज कस दिया. जिससे वो व्याकुल हो गये और उन्होने जबाव दिया है.