Ticker

6/recent/ticker-posts

Header Ads Widget

Responsive Advertisement

फर्जीवाडे के कारण राजस्थान में दम तोड़ती मदरसा व्यवस्था Due to fraud, the madrasa system in Rajasthan is collapsing.



अब्दुल रज़ाक पंवार

करीब तीन दशक पहले तत्कालीन राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में शिक्षा से वंचित अल्पसंख्यक समुदाय के बच्चों को शिक्षित करने के लिए लागू की गई मदरसा शिक्षा व्यवस्था बड़े पैमाने पर हो रहे फर्जीवाड़े के कारण अब जाकर दम तोड़ने लगी हैं. सूत्रों की माने तो हालात कुछ ऐसे बन चुके है कि सीकर सहित राजस्थान के अनेक गांवों, कस्बों और जिला मुख्यालयों पर संचालित मदरसों के संचालन की व्यवस्था देख रही है प्रबंध समितियां स्वयं ही इस फर्जीवाडे से त्रस्त होकर मदरसा बंद करने के लिए सम्बद्ध अल्पसंख्यक विभाग में एक के बाद एक आवेदन प्रस्तुत कर रही है. हालांकि बोर्ड की ओर से फिलहाल ऐसे आवेदनों पर गौर नहीं किया जा रहा है. बता दें कि प्रदेश में इस समय राजस्थान मदरसा बोर्ड से मान्यता प्राप्त लगभग 3200 मदरसे संचालित है लेकिन इनमें से अनेक मदरसों की आधारभूत व्यवस्थाएं बेहद ही लचर और चिंताजनक है, इनमे से अधिकतर राजकोष को चपत लगाने वाले साबित हो रहे है. कहीं शिक्षा अनुदेशक विदेश में कमाने खाने गए हुए है तो कहीं शिक्षा अनुदेशक की उपस्थिति सम्बंधित मदरसे में हो रही है और वह काम किसी और गैर सरकारी स्कूल में कर रहा है जबकि प्रबंध समितियां इनसे भी हजार कदम आगे बढ़कर फर्जीवाड़ा कर रही है. वह शिक्षा अनुदेशक का फर्जी तरीके से मासिक रिपोर्ट तस्दीक करना और सरकार द्वारा मदरसों के बच्चों के लिए मुहैया कराई जाने वाली शिक्षण सामग्री, ड्रेस एवं पोषाहार वितरण में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी कर रही हैं. लोगों की माने तो मदरसों का फर्जीवाड़ा जिला अल्पसंख्यक विभागों के अधिकारियों से छुपा हुआ नहीं है लेकिन आला  अधिकारियों से आंखे मूंदे रखने की हिदायत मिलने के कारण अधिकारी हाथ बांधे बैठे हैं. बहरहाल मदरसों की खस्ता हालत को सुधारने के लिए फर्जीवाड़ें और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाते हुए उनमें आधारभूत शिक्षा सुविधाएं कायम करने की जरूरत हैं.
▪️इस लालच में लेते है मदरसे की मान्यता

एक सर्वे के अनुसार प्रदेश में गैर सरकारी शिक्षा व्यवस्था से जुड़े उन लोगों ने मदरसा बोर्ड से मान्यता ले रखी है जिनके पास स्वयं का स्कूल भवन, भूमि का पट्टा अथवा स्पष्ट तौर पर टाइटल क्लियर नहीं हैं। बताया जाता है कि मदरसा बोर्ड सम्बंध समितियों से भूमि का स्पष्ट टाइटल नहीं मांगता है. वह किराए कि भूमि अथवा बिना पट्टे, बिना तामीर इजाजत से बने अवैध आवासीय मकानों में भी मदरसा संचालन हेतु मान्यता जारी कर देता है जबकि शिक्षा विभाग ऐसा नहीं करता है. वह भूमि के स्पष्ट टाइटल के बिना स्कूल अथवा कॉलेज संचालन की अनुमति नहीं देता हैं.
▪️ये मिलती है मदद...

राजस्थान मदरसा बोर्ड से मान्यता प्राप्त मदरसों में छात्र - छात्राओं को अध्ययन कराने के लिए एक से चार शिक्षा अनुदेशक नियुक़्त किए जाते है तथा शिक्षण एवं पोषाहार सामग्री देने के साथ ड्रेस, खेलकूद का सामान और फर्नीचर उपलब्ध करााया जाता है तथा सरकार द्वारा संचालित लाडो आदि योजनाओं का लाभ मिलता हैं.
▪️सीकर में बंद होंगे कई मदरसे

एक जानकारी के अनुसार सीकर जिले में राजस्थान मदरसा बोर्ड से मान्यता प्राप्त मदरसों की संख्या करीब 125 है. इनमें अकेले सीकर शहर में 40 से अधिक मदरसे है. खबर है कि शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र में ज्यादातर गैर सरकारी स्कूल चलाने वालों ने मदरसा बोर्ड से मान्यता ले रखी है जो एक तरफ अध्ययनरत बच्चों से मोटी फीस वसूलते है वहीं दूसरी तरफ बोर्ड द्वारा मुहैया कराए जाने वाले शिक्षा अनुदेशकों से काम लेने अथवा जो काम न करे उससे चौथ वसूलते है. इनके अलावा फर्नीचर, कम्प्यूटर, पोषाहार, खेलकूद, शिक्षण सामग्री, पुस्तकें, ड्रेस आदि का भरपूर लाभ उठा रहे हैं. सूत्रों ने बताया कि निजी क्षेत्र में संचालित मदरसों की दुर्दशा और इनके नाम पर हो रहे भ्रष्टाचार से क्षुब्ध कई लोगों ने मदरसा बंद करने का फैसला करते हुए जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी कार्यालय में आवेदन पेश किया हैं.