सीकर : जमाने में फर्जी डिग्री को लेकर जहां कहीं कोई भण्डाफोड होता था तब उसमें सरे फेहरिस्त नाम उत्तर प्रदेश या फिर बिहार का ही आता था लेकिन अब लगता है कि फर्जीवाडे के इस गौरखधंधे में राजस्थान इन दोनों राज्यों के मुकाबले बहुत आगे निकल गया हैं। गौरतलब यह भी है कि डिग्रियों की धांधलेबाजी कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकार के समय भी होती थी और अब जब राज बदल गया है तब भाजपा सरकार में भी हो रही हैं। बसः फर्क इन दोनों में इतना ही है कि मौजूदा सरकार ने फर्जी डिग्री गिरोह चलाने वालों पर कड़ा शिकंजा कस रखा हैं जबकि कांग्रेस राज में पूरी छूट थी। विशेषकर पुलिस उप निरीक्षक भर्ती ताजा उदाहरण है, जिसमें चयनित कई फर्जी उप निरीक्षक जेल की हवा खाने के साथ नौकरी से हाथ धो बैठे हैं। इस बीच बात 'डिग्री' की चली है तो जन चर्चा निजी क्षेत्र में चल रही बीएड कॉलेजों के फर्जीवाडे की आम हैं। भरोसेमंद सूत्रों की माने तो सीकर, झुंझुनूं, चूरू और नागौर सहित प्रदेश के अनेक स्थानों पर निजी क्षेत्र में संचालित बीएड कॉलेजों के नाम पर आम धारणा बन गई है कि एडमिशन लो, फर्जी डिग्री पाओ! यानी कि अकेले सीकर जिले में ही अनेकों बीएड कॉलेज ऐसे है जहां एडमिशन फीस के अलावा 20 हजार से 50 हजार रूपए बतौर घूस के दे तो घर बैठे उपस्थिति के साथ डिग्री उपलब्ध हो सकती हैं। बहरहाल शिक्षा के इस कदर गिरते स्तर को देख सुनकर कई प्रबुद्धजनों ने मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा से इस गैर कानूनी धंधे पर रोक लगाने की मांग की हैं।
फीस के अतिरिक्त मोटी अवैध वसूली राज्य सरकार की अनदेखी एवं लापरवाही के कारण बीएड कॉलेजों में पनपे भ्रष्टाचार की बानगी यह है कि ऐसे कॉलेजों के संचालक निर्धारित फीस जमा कराने के बाद अतिरिक्त वसूली करते हैं। यह राशि 20 हजार से 50 हजार रूपये तक बताई। बदले में अभ्यर्थी को एडमिशन लेने के बाद उपस्थिति से छूट मिल जाती है और एक तय समय बाद घर बैठे डिग्री भी मिल जाती हैं।
जिला स्तर पर निरीक्षण तंत्र नहीं
बताया जाता है कि निजी क्षेत्र में संचालित बीएड कॉलेजों में प्रशासनिक स्तर पर जिला स्तरीय निरीक्षण तंत्र नहीं हैं। इस कारण शिक्षा विभाग ने चुप्पी साध रखी हैं तो सरकार ने आंखे बंद कर ली हैं। नतीजतन स्थिति यह है कि डिग्री देने की आड़ में चांदी कूटी जा रही हैं। यही वजह है कि भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो राजस्थान आए दिन ऐसी कॉलेजों पर दबिश देकर कभी प्रिंसीपल, लेक्चरर और क्लर्क को घूस लेते दबोचता है तो कभी संचालक के विरूद्ध कार्रवाई करता हैं।
सीसीटीवी कैमरे बंद बायोमैट्रिक मशीन से नहीं होती हाजरी
निजी क्षेत्र में संचालित बीएड कॉलेजों का निरीक्षण करने पर जो बडी खामी नजर आई उसमें छात्र-छात्राओं की बॉयोमैट्रिक मशीन से उपस्थिति यानी हाजरी न होना और कॉलेज के कक्षा कक्षों में सीसीटीवी कैमरे बंद रहना प्रमुख हैं। यदि कैमरे चालू और बॉयोमैट्रिक मशीन से हाजरी होने लगे तो फर्जीवाडे पर अंकुश लग सकता हैं। सरकारी मापदण्डों के अनुसार स्टॉफ नहीं, रिकॉर्ड में हेराफेरी
सूत्रों की माने तो निजी क्षेत्र की अधिकतर बीएड कॉलेज सरकारी मापदण्डों के अनुसार संचालित नहीं तो रही है। कानून कायदों के तहत बीएड कॉलेज संचालन के लिए जितना स्टाफ होना चाहिए वह इनमें रिकार्ड में तो मिल सकता है, लेकिन मौके पर न के बराबर हैं। भरोसमंद व्यक्ति ने बताया कि कॉलेज संचालक पर्याप्त स्टॉफ इसलिए नहीं रखते कि छात्र-छात्राएं आते ही नहीं है। उनकी हाजरी केवल रजिस्टर में दर्शाई जाती है।