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यादव नेताओं के वर्चस्व की जंग का अखाड़ा बन गया है अलवर Alwar has become a battleground for the dominance struggle among Yadav leaders.


महेश झालानी

अलवर जिले में यादवों में वर्चस्व को लेकर जबरदस्त जंग छिड़ी हुई है. तिजारा के विधायक बाबा बालकनाथ (यादव) चाहते है कि यादवों में उनका दबदबा रहे. इसी तरह पूर्व विधायक रामहेत यादव भी अपने वजूद को बचाए रखने के लिए संघर्षरत है.

बाबा बालकनाथ मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार थे लेकिन जब से भजनलाल शर्मा की मुख्यमंत्री के नाम की पर्ची खुली है, तब से उनका मिज़ाज तल्ख है. अलवर जिले में केंद्रीय मंत्री तथा यहां के सांसद भूपेंद्र यादव का जबरदस्त दबदबा है.वे इस संसदीय क्षेत्र के पहले संसद सदस्य है जो अपनी कार्यशैली और शालीनता की वजह से जो आम जनता के दिलों पर काबिज है.

उधर बालकनाथ यादवों की बैसाखियों का सहारा लेकर अगले संसद चुनाव के लिए अपनी जमीन तैयार कर रहे है. वे विधानसभा के बजाय संसद में जाने के लिए उत्सुक थे.दरअसल इन्होंने संसद सदस्य होते हुए कभी अपने क्षेत्र की ओर झांकने तक जरूरत महसूस नहीं की. इसके विपरीत भूपेंद्र यादव नियमित रूप से अपने संसदीय क्षेत्र का विकास करने के लिए न केवल सक्रिय है बल्कि लगातार फीडबैक भी लेते रहते है.

अलवर जिला यादव बाहुल्य क्षेत्र है. इसलिए भूपेंद्र यादव ने इस इलाके को चुना. पूरे जिले में भूपेंद्र यादव की तूती बोलती है जबकि बालकनाथ की निष्क्रियता और अक्खड़पन की वजह से लोग उनके पास जाना तक पसन्द नहीं करते है.अलवर के लोगों  का कहना है कि आजादी के बाद भूपेंद्र यादव पहला ऐसा जनप्रतिनिधि मिला है जो क्षेत्र के विकास के लिए बेहद उतावला और सक्रिय है.

भूपेंद्र यादव बिना किसी लाग लपेट और दुर्भावना से परे हटकर क्षेत्रीय विकास में तल्लीन है. इसके विपरीत भूपेंद्र की प्रतिष्ठा को धूमिल करने की गरज से बालकनाथ राजनीतिक दाव पेंच खेल रहे है. पता लगा है कि बालकनाथ खैरथल जिले का मुख्यालय भिवाड़ी स्थानान्तरित करने के लिए प्रयत्नशील है. अगर इस जिले का मुख्यालय भिवाड़ी हो जाता है तो बालकनाथ बहुत बड़ी राजनैतिक जीत होगी और भूपेंद्र यादव को नीचा देखना पड़ेगा. सुनने में आ रहा है कि राज्य सरकार कभी भी इस बारे में अधिसूचना जारी कर सकती है.

बालकनाथ तो भूपेंद्र यादव की प्रतिष्ठा को पलीता लगा ही रहे है, इसके अलावा रामहेत यादव की ओछी राजनीति की वजह से भूपेंद्र यादव शंका के घेरे में है. इस व्यक्ति ने बजाय क्षेत्र का विकास करने के गंदी राजनीति का खेल खेला. इसी वजह से दीपचंद खैरिया पुनः विधायक बन गए.