बाल मुकुंद जोशी
आज देश और कांग्रेस को राजेश पायलट जैसे दिग्गज जमीनी नेता की बेहद जरूरत है. जो आम अवाम की आवाज को न केवल सुने बल्कि उसको सुदृढ़ नेतृत्व के जरिए को मुकाम हासिल करवा सके. वर्तमान दौर में भारत की राजनीति जिस दिशा की ओर जा रही है उसमें विपक्ष के काबिल नेताओं की अहमियत काफी ज्यादा है. इस कमी को किसान नेता स्व. पायलट भली भांति भर सकते थे लेकिन ईश्वर को कुछ और ही मंजूर था, उन्हें असमय अपने पास बुला लिया. कहते हैं ना कि अच्छे इंसान की ऊपर भी जरूरत होती है. शायद उसी को देखते हुए पायलट साहब आज हमारे बीच नहीं है.
मुझे भी करीब-करीब चार दशक से ज्यादा समय से पत्रकारिता करने का अनुभव रहा है.इस दरम्यान राजस्थान के कई राजनेताओं को करीब से देखने, समझने और उनके निर्णय को भांपने की कोशिश रही है हालांकि स्व.पायलट साहब से मेरा कोई सीधा संवाद कभी नहीं हुआ. इसके बावजूद एक बार वे सीकर जिले में संगठन के कार्य से बजाज भवन, जिला कांग्रेस कमेटी के कार्यालय में कांग्रेसजनों को संगठित ताकत की चर्चा कर उदाहरण दे रहे थे.तबका किस्सा मुझे याद है.
पायलट ने उसे समय कार्यकर्ताओं से कहा, जेब में सौ रुपए हो तो तो भूख नहीं लगती और जेब खाली होने पर बार-बार व्यक्ति का ध्यान भूख मिटाने की ओर लगा रहता है. इस कथन के पीछे उनका पैसे की ताकत का बखान करने का मकसद कम बल्कि मजबूर संगठन का महत्व जताना ज्यादा रहा होगा.
मेरा भी मानना है कि व्यक्ति के पास मजबूती हो तो वह किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए हर वक्त तैयार रहता है लेकिन आज कांग्रेस की जेब खाली है और पायलट जैसे नेताओं का भी नितांत अभाव है. ऐसे में कुशल संगठनकर्ता पायलट को हम उनके 80 वें जन्म दिवस पर उन्हें श्रद्धा पूर्वक स्मरण कर सादर श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं.