बाल मुकुंद जोशी
वर्तमान में संचार क्रांति का कोई सानी नहीं है इंटरनेट के युग में सभी क्षेत्रों के साथ-साथ मीडिया जगत में भी क्रांति का सूत्रपात हुआ है. जिसको आज हर कोई शिद्दत से महसूस कर रहा है. करीब-करीब 4 दशक हो गये है मुझे पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्य करते हुए. टेलीग्राम से समाचार प्रेषण करने से शुरू हुए जर्नलिज्म का युग आज कहां तक पहुंच गया है, यह किसी से छुपा हुआ नहीं है. आज इंटरनेट,मोबाइल और लैपटॉप से की जा रही पत्रकारिता भी दिवास्वप्न सी लगती है.
आज खबरें जानने के अनेकों अनेक साधन हैं. इसके बावजूद रेडियो की प्रासंगिकता बनी हुई है. इस दौर में रेडियो ने भी अपनी उपादेयता बनाए रखने के लिए कई नवाचार किए हैं. जिसके चलते रेडियो प्रेमियों ने सब कुछ बदलने के बावजूद ट्रांजिस्टर का साथ नहीं छोड़ा है. इनमें एक प्रमुख राजनेता है राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत. जहां तक मैं जानता हूं गहलोत साहब आज भी अपने ब्रीफकेस में ट्रांजिस्टर को रखते हैं और रेडियो पर समाचार सुनते की आदत को बरकरार रखे हुए है.खबरों की विश्वसनीयता के मामले में प्रसार भारती की खबरें रेडियो पर प्रसारित होते हुए उसे खरा सोना माना जाता है.