जिलाध्यक्ष पद पर आने के लिए कोई दिग्गज नेता का नाम तो नहीं है, हां पर्दे के पीछे हर कोई स्वयं का समर्थित अध्यक्ष बनाने के नाम पर चाल जरूर चल रहा है. अध्यक्ष के चयन के लिए बिछी चौसर में जातीय समीकरण के पासें फेक जा रहे हैं. जिसके तहत पार्टी का एक धड़ा वर्तमान अध्यक्ष कमल सिखवाल को फिर से अवसर दिए जाने के पक्ष में है जबकि दूसरा धड़ा किसी भी सूरत में सिखवाल को फिर से जिलाध्यक्ष देखना पसंद नहीं करता है.
सीकर जिले में जाट के अलावा ब्राह्मण जाति से अधिकतर पार्टी के अब तक जिलाध्यक्ष बने हैं. इस बार राजपूत समाज से भी पहली बार अध्यक्ष बनाने की बात को लेकर पार्टी एक गुट प्रभुसिंह गोगावास का नाम आगे किया है लेकिन दूसरे गुट ने पार्टी संविधान की दुहाई देते हुए गोगावास के नाम का यह कहकर विरोध कर दिया है कि वह चुनाव के सह प्रभारी है. गोगा वास के नाम पर प्रश्न चिन्ह लगने के बाद पूर्व सांसद स्वामी सुमेधानंद पूर्व विधायक रतन जलधारी केडी पावर और हरिराम रणवा ने मनोज बाटड़ के नाम को आगे रखा है.
स्वायत शासन मंत्री झाबर सिंह खर्रा वर्तमान अध्यक्ष सिखवाल को एक बार फिर से मौका देने की पक्ष में बताए जाते हैं. पूर्व केंद्रीय मंत्री सुभाष महरिया और सैनिक कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष प्रेम सिंह बाजोर भी सिखवाल के अल्प समय के कार्यकाल को आधार मानकर पक्ष में है.
बहरहाल सीकर,झुंझुनूं और चूरू की जातीय गणित में जाट,राजपूत और ब्राह्मण जाति से अध्यक्ष बनना है. यहां देखना काबिलेगौर होगा कि सीकर को कोनसी बिरादरी का अध्यक्ष मिलता है?