अजमेर:विश्वविख्यात सूफी संत हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के 814वें उर्स मेले की शुरुआत गुरुवार को दरगाह शरीफ के बुलंद दरवाजे पर झंडा चढ़ाने की रस्म के साथ हुई। परंपरा के अनुसार यह रस्म भीलवाड़ा के गौरी परिवार ने निभाई। परिवार के मुखिया फखरूद्दीन गौरी की अगुवाई में झंडा चढ़ाया गया। गौरी परिवार कई दशकों से यह जिम्मेदारी निभाता आ रहा है।
झंडे का जुलूस दरगाह गेस्ट हाउस से रवाना होकर बुलंद दरवाजे तक पहुंचा। जुलूस में हजारों जायरीन और आशिकाने ख्वाजा शामिल हुए। इस दौरान सूफियाना कलाम, सलातो-सलाम की गूंज और सादियानों की थाप से माहौल भक्तिमय बना रहा। जायरीन झंडे को चूमने के लिए आगे बढ़ते नजर आए।
झंडा चढ़ाए जाने से पहले बड़े पीर साहब की पहाड़ी से तोप के गोले दागकर सलामी दी गई। रोशनी के वक्त से पूर्व बुलंद दरवाजे पर झंडा चढ़ाए जाने के साथ ही उर्स मेले की औपचारिक शुरुआत हो गई। इस अवसर पर बाहर से आए कलंदर अपने करतब दिखाते हुए जुलूस के साथ चलते रहे।
प्रशासन के अनुसार रजब का चांद दिखाई देने के बाद 21 दिसंबर की रात से उर्स की विधिवत धार्मिक रस्में शुरू होंगी। उर्स के दौरान देश-विदेश से लाखों जायरीन अजमेर पहुंचेंगे।

