जयपुर: देशभर की तमाम वक्फ प्रॉपर्टीज को केन्द्र सरकार के उम्मीद पोर्टल पर अपलोड करने की आखिरी तारीख 5 दिसम्बर, 2025 अन करीब है लेकिन इसको लेकर मुसलमान ज्यादा गम्भीर नही है क्योंकि वह केन्द्र सरकार के वनिस्पत राज्य वक्फ बोर्डों की काली कारगुजारियों से ज्यादा नाख़ुश है, इस बीच जहां एक ओर वक्फ बोर्ड के शातिर मठाधीश बगुले जैसी ख़ामोशी के साथ "उम्मीद" पोर्टल पर दर्ज की जाने वाली सम्पदाओं के आंकड़ों पर नजरें गड़ाए बैठे हैं वहीं इन सम्पदाओं की दशकों से हिफाजत और देखभाल कर रही तंजीमों के ओहदेदारों में इस बाबत अजीब -ओ- गरीब बेचैनी और घबराहट है.
इधर यदि हम केवल राजस्थान के संदर्भ में ही बात करें तो यहां इस बेचैनी की सबसे बड़ी वजह है राजस्थान बोर्ड ऑफ़ मुस्लिम वक्फ़, जयपुर मुख्यालय की लच्चर एवं भ्रष्ट्र व्यवस्था, जिसका एक शर्मनाक पहलु यह बताया गया कि बोर्ड के पास न पुरानी सर्वे सीट है और न ही इन सम्पदाओं की सही लोकेशन जबकि नए संशोधित कानून के अनुसार केन्द्र सरकार ने सभी वक्फ प्रॉपर्टीज़ का सशर्त री - रजिस्ट्रेशन ज़रूरी कर दिया है यानी कि नए कानून के तहत सिर्फ़ उन्हीं वक्फ प्रॉपर्टीज़ को मंजूर किया जाएगा जिनके वैलिड ट्रेस किए जा सकने वाले डॉक्यूमेंट होंगे.
राजस्थान में साढ़े 19 हजार वक्फ सम्पदाओं में से मात्र 2 हजार अपलोड
खबरों के अनुसार राजस्थान बोर्ड ऑफ मुस्लिम वक्फ जयपुर के पास रिकॉर्ड सुरक्षित न होने के कारण प्रदेश की करीब साढ़े उन्नीस हजार प्रॉपर्टीज़ में से आज दिन तक करीब दो हजार सम्पदा ही उम्मीद पोर्टल पर अपलोड की जा सकी है.
वक्फ बोर्ड से विश्वास उठा
एक जानकारी के मुताबिक राजस्थान वक्फ बोर्ड के पास 19 हजार 44 प्रॉपर्टीज ऑकाफ रजिस्टर में पंजीकृत हैं, इनमें से 17 हजार 415 प्रॉपर्टी राजस्थान राजपत्र में प्रकाशित और 1629 राजपत्र प्रकाशन के पश्चात दर्ज हैं. इन वक्फ प्रॉपर्टीज से बोर्ड को सालाना तीन करोड़ रुपए से ज्यादा का किराया आता है लेकिन बोर्ड ने आज दिन तक जन कल्याण का कहीं कोई एक ऐसा काम नही किया है जिसे देखकर किसी मुसलमान को यह लगे कि उसे अपनी चल अचल अथवा पुश्तैनी सम्पदा को अल्लाह के नाम कौम की फ़लाह ओ बहबूदी के लिए देने के वास्ते वक्फ बोर्ड के संरक्षण की जरूरत है !