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दोनों हाथ गंवाने वाले हीर सिंह रावणा ने लिखी संघर्ष की इबारत, बने RAS अधिकारी


चौहटन (बाड़मेर) : किस्मत ने भले ही उनके दोनों हाथ छीन लिए, मगर हौसले के आगे किस्मत भी नतमस्तक हो गई। चौहटन उपखंड के कापराऊ गांव के हीर सिंह रावणा ने वो कर दिखाया, जिसे सुनकर इंसानियत झुककर सलाम करे। करंट हादसे में दोनों हाथ और एक कान खो देने वाले हीर सिंह ने निराशा को संघर्ष में बदल दिया और आखिरकार राजस्थान प्रशासनिक सेवा (RAS) में चयनित होकर मिसाल पेश की।

साल 2020 में हुए हादसे ने जीवन की दिशा बदल दी थी, मगर हीर सिंह ने हालात के आगे घुटने नहीं टेके। PTET परीक्षा में आवेदन किया तो सरकार ने श्रुतलेखक (writer) देने से इनकार कर दिया। लेकिन हीर सिंह ने हार नहीं मानी—न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और “हीर सिंह वाद” नाम से आदेश निकलवाकर श्रुतलेखक की व्यवस्था सुनिश्चित करवाई। उसी दृढ़ निश्चय ने उन्हें मंज़िल तक पहुंचाया।

रीट लेवल-2 में सामाजिक विज्ञान विषय से चयन के बाद अब उनका RAS में चयन यह साबित करता है कि हौसले कभी अपंग नहीं होते। बरसों पहले कलेक्टरेट के नीचे बारिश में भीगे कपड़ों और जख़्मी हाथों के साथ संघर्ष करने वाला वही युवक आज हज़ारों युवाओं के लिए प्रेरणा बन चुका है।

हीर सिंह की कहानी यह बताती है कि भगवान हाथ छीन सकता है, लेकिन किस्मत नहीं। सफलता उनके कदम चूमती है, जो परिस्थितियों को अपने हौसले से मात देना जानते हैं।

हीर सिंह रावणा—संघर्ष का पर्याय, प्रेरणा का प्रतीक।