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पुलिसवाला कैसे बन गया सांसद?


बाल मुकुंद जोशी
इंसान अपने जीवन में तमाम ख्वाब देखता है—कुछ पूरे होते हैं, कुछ अधूरे रह जाते हैं। लेकिन कभी-कभी ऐसा भी होता है कि बिना चाहे, कोई सपना अपने आप साकार हो जाए। बाड़मेर-जैसलमेर-बालोतरा के सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल की कहानी भी कुछ ऐसी ही है।

बेनीवाल ने रविवार को जिला मुख्यालय पर राजस्थान सेवानिवृत्त पुलिस कल्याण संस्थान की ओर से आयोजित जोधपुर संभागीय स्नेह मिलन कार्यक्रम में अपने जीवन का यह किस्सा साझा किया। उन्होंने बताया कि वह अफसर बनना चाहते थे, लेकिन किस्मत ने उन्हें सांसद बना दिया।

सांसद ने कहा कि वर्ष 1995 में बाड़मेर पुलिस लाइन में दिल्ली पुलिस की भर्ती के दौरान उनका चयन हुआ था। तत्कालीन सांसद रामनिवास मिर्धा उन्हें भर्ती प्रक्रिया के लिए दिल्ली लेकर गए थे। बेनीवाल ने करीब दस साल तक दिल्ली पुलिस में सेवा दी। इस दौरान उनके मन में अफसर बनने की ललक बनी रही। वे बताते हैं—“जब भी किसी अधिकारी को सलाम करता, मन में यही ख्याल आता कि काश मैं भी अफसर होता।” उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू की, लेकिन ग्रामीण पृष्ठभूमि के कारण पढ़ाई के साथ तालमेल नहीं बैठ पाया।

इसी बीच 2015 में ग्रामीणों ने उन्हें सरपंच चुन लिया। इसके साथ ही उन्होंने जोधपुर में हैंडीक्राफ्ट और प्रॉपर्टी कारोबार शुरू किया, जिसमें सफलता भी मिली। लेकिन राजनीति में उनका असली मोड़ वर्ष 2018 में आया, जब अचानक परिस्थितियां बदल गईं और वे सियासत की पटरी पर तेज रफ्तार से आगे बढ़े। आज वे देश की सबसे बड़ी पंचायत—लोकसभा—के सदस्य हैं। बेनीवाल कहते हैं, “यह वह सपना था, जो मैंने कभी देखा ही नहीं।”

कार्यक्रम में सांसद ने पुलिसकर्मियों से जनसेवा और कल्याणकारी कार्यों से जुड़े रहने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि जनता हमेशा पुलिस से उम्मीद लगाती है, इसलिए सेवानिवृत्त होने के बाद भी समाज में सेवा जारी रखनी चाहिए। इसी अवसर पर बेनीवाल ने बाड़मेर पुलिस लाइन के विकास के लिए सांसद कोष से 25 लाख रुपये देने की घोषणा भी की।