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विनोद जाखड की अध्यक्ष की कुर्सी मजबूत "Vinod Jakhar's position as chairman is strong."

बाल मुकुंद जोशी
राजस्थान में भले ही कांग्रेस सत्ता में नहीं है इसके बावजूद एक शताब्दी से ज्यादा लंबी सियासत की उठक-बैठक देखने वाली पार्टी में हलचल हरदम बनी रहती है.गोया की इसमें पदाधिकारी बनकर सत्ता सुख भोगने की गारंटी मिलती हो. तभी तो पंजे वाले संगठन में कार्यकर्ता कम नेता ज्यादा उछल कूद करते दिखाई देते हैं.

बिना मौसम के ही आजकल भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (NSUI) के प्रदेशाध्यक्ष विनोद जाखड़ को लेकर जाति विशेष के कुछ युवा उनको हटाने को लेकर सोशल मीडिया पर खासे उत्साहित रहते है.जबकि जाखड ने अपने कामकाज और आंदोलन की राजनीति के दम पर अंगद की तरह पैर जमा रखे है. साथ ही साथ उनका दिल्ली दरबार में मजबूत रसूक और सुनहरा सियासी अतीत कुर्सी की ओर किसी को आने से रोक रखा है.
 
अनुसूचित जाति के छात्र नेता विनोद जाखड 
ने हर दौर में कड़ी मेहनत के साथ सफलता के झंडे गाढे है. वर्ष-2014 में राजस्थान कॉलेज छात्र संघ अध्यक्ष निर्वाचित होने के बाद से इनकी सफलता सिर चढ़कर बोलने लगी. तभी राजस्थान विश्वविद्यालय छात्र संघ के वर्ष-2018 में चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी बतौर जाखड ने 5 हजार 854 मतों से जीत अर्जित की. बाद में सचिन पायलट की मेहरबानी से पिछड़ी जाति के इस स्टूडेंट लीडर ने कांग्रेस की छात्र विंग की मशाल थामी और राष्ट्रीय सचिव बने. इस दरम्यान इन्होंने राष्ट्रीय अध्यक्ष का दो दफा चुनाव भी लड़ा और सफल पांच अभ्यर्थियों में स्थान मुकम्मल किया.

जाखड ने गत वर्ष के प्रारम्भ में एनएसयूआई प्रदेशाध्यक्ष का पदभार संभाला और संगठन को मजबूत देने के लिए कई छात्र आन्दोलन का नेतृत्व किया. इतना ही नहीं युवाओं को नशे से दूर रखने के लिए जैसलमेर से जयपुर तक की ऐतिहासिक साईकिल यात्रा कर 17 हजार से अधिक युवाओं को नशे के खिलाफ शपथ दिलाई.

पिछले दिनों फायर छात्र नेता निर्मल चौधरी की गिरफ़्तारी के दौरान जाखड की चुप्पी ने उनके खिलाफ हो-हल्ला खड़ा कर दिया. चौधरी एनएसयूआई के राष्ट्रीय सचिव है. उनके समर्थक और जाति के कई युवकों ने जाखड के रवैये को लेकर विरोध वातावरण बनाना शुरू कर दिया. जानकारों के अनुसार काफी समय से जाखड स्वास्थ्य लाभ ले रहे है.

राजनीतिक पंडितों की माने तो जाखड के खिलाफ बनाये जा रहे माहौल में कोई दम नजर नहीं आ रहा है. निकट भविष्य में प्रदेश कांग्रेस में बदलाव भी नहीं हो रहा है. ऐसे में एनएसयूआई के अध्यक्ष बदले की हो रही तथाकथित कदमताल केवल कदमताल ही है.