चूरू जिले के जोड़ी गांव का रहने वाला प्रवीण कभी राजस्थान पुलिस का हिस्सा था। 2001 में झालावाड़ में कांस्टेबल के रूप में भर्ती हुआ, लेकिन लॉरेंस गैंग के शूटर अंकित भादू को शरण देने और आनंदपाल गैंग से जुड़ने के कारण उसे नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया। इसके बाद उसने अपराध की दुनिया में कदम रखा और व्यापारियों के नंबर गैंगस्टर रोहित गोदारा व वीरेंद्र को देकर फिरौती वसूलने में मदद की। श्रीगंगानगर के जवाहर नगर और लालगढ़ थानों में उसके खिलाफ तीन मामले दर्ज हैं।ऑपरेशन का मास्टरप्लान
अतिरिक्त महानिदेशक (अपराध) दिनेश एमएन के निर्देश पर यह ऑपरेशन डीआईजी योगेश यादव और एएसपी सिद्धांत शर्मा की निगरानी में चला। इंस्पेक्टर सुभाष सिंह तंवर की अगुआई में गठित विशेष टीम ने खुफिया सूचना के आधार पर प्रवीण को राजगढ़ रोड, चूरू बायपास से गिरफ्तार किया। टीम में एएसआई शंकर दयाल, हेड कांस्टेबल नरेंद्र सिंह, महावीर सिंह, सुरेश, कमल डागर, कांस्टेबल नरेश, रतिराम और चालक सुरेश शामिल थे।होटल सनसिटी फायरिंग का खुलासा
18 अगस्त 2024 को चूरू के होटल सनसिटी में दो अज्ञात बदमाशों ने ताबड़तोड़ फायरिंग की थी, जिसमें कर्मचारी मन्जत अली और अन्य स्टाफ बाल-बाल बचे। इस मामले में चूरू एसपी ने प्रवीण पर 25 हजार का इनाम रखा था। अब उसकी गिरफ्तारी से पुलिस को कई अहम सुराग मिलने की उम्मीद है।पहले भी साथी गिरफ्तार
एजीटीएफ ने प्रवीण के साथी जितेंद्र सिंह उर्फ जीतू जोड़ी को पहले ही पकड़ा था, जिसके पास से दो AK-47 राइफल, मैगजीन और भारी मात्रा में कारतूस बरामद हुए थे।आगे की कार्रवाई
प्रवीण को चूरू कोतवाली पुलिस को सौंप दिया गया है, जहां उससे गहन पूछताछ जारी है। पुलिस को उम्मीद है कि उसकी गिरफ्तारी से गैंग के अन्य सदस्यों और अपराधों का पर्दाफाश होगा।‘खाकी से खलनायक’ बनने की यह कहानी चूरू की सड़कों से अपराध की गहरी साजिशों को उजागर करती है।