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खाड़ी देशों में रोजगार के लिए गए युवक गोल्ड स्मगलिंग की चपेट में Young men who went to Gulf countries for employment got caught in gold smuggling.




अब्दुल रज़ाक पंवार

खाड़ी मुल्कों से सीकर, झुंझुनूं, चूरू एवं नागौर जिलों का रोजगार का रिश्ता करीब पांच दशक पुराना है, इस बीच पिछले दस वर्षों के दरमियान उक़्त पवित्र रिश्ते में यहां एक और गैर कानूनी रोजगार निकल आया है, जिसे कानूनी भाषा में 'गोल्ड स्मगलिंग' कहते है, जो इन जिलों से अरब मुल्कों में काम करने गए युवा मजदूरों को तस्कर बना रहा हैं. सूत्रों की माने तो उक़्त मजदूर शॉर्टकट से फ़टाफ़ट मालदार बनने के लालच में हर वर्ष करीब तीन सौ करोड़ रूपए के सोने की तस्करी कर रहे हैं. इधर अफसोस करने वाली बात यह है कि इस अनाधिकृत, अपराधिक कारोबार में संलिप्त लोगों ने अपनी जाति बिरादरी में इस काम को सोने का व्यापार बताकर इसे सामाजिक मान्यता दिला दी है. यहां तक कि इनमें से बहुत ऐसे भी है जो इसे धार्मिक तौर पर भी बुरा नहीं मानते हैं. यही वजह है कि उक़्त लोग शेखावाटी से पवित्र उमराह हज पर गए भोले - सीधे लोगों को हाथ के कंगन, गले का हार और कान के झुमके बाली बनाकर उन्हें घर देने को कह देते है. पता चला कि ऐसे जेवर सौंपने से पहले उक़्त लोग हाजियों की मान मनुहार सेवा पुर्सी इस कदर करते है कि किसी को शक ही नहीं होता है कि जो शख्स चिकनी चुपड़ी बातें कर रहा है, असल में उमराह पर आए भोले लोगों को भी अपने गुनाह का भागीदार बना रहा है. बहरहाल ऐसा नहीं है कि' गोल्ड स्मगलिंग' में लगे युवाओं पर सरकारी मशीनरियों की नजर नहीं हैं परंतु ये उन स्वर्ण कारोबारियों की हाजिरी बजाते है, जो तस्करी के तरीकों से लाए गए सोने का खरीदते है. एक प्रकार से युवा को 'कुरियर' का काम कर रहे है, जो टिकट एवं कुछ नकदी के बदले अपनी जान जोखिम में डालकर तस्कर बन बैठे हैं.

सीकर सहित 4 जिलों में कई गैंग सक्रिय

समाचारिक सूत्रों के अनुसार नागौर सहित समूचे शेखावाटी क्षेत्र में 'गोल्ड स्मगलिंग' के अनाधिकृत कारोबार में करीब एक दर्जन गैंग सक्रिय है. इनमें कुचामन - डीडवाना जिले का लाडनूं, डीडवाना, शेरानी आबाद, खारिया, झुंझुनूं का नवलगढ़, मण्डावा, चूरू का सरदारश्हर, सुजानगढ़, चूरू तथा सीकर जिले का सीकर शहर सहित ग्राम जाजोद, मंगलूणा और फतेहपुर आदि प्रमुख गांव-शहर है. पता चला कि इन क्षेत्रों में सक्रिय गोल्ड स्मगलर खाड़ी गए ऐसे युवाओं को तलाशते है जो वहां साल भर से ज्यादा की मुसाफिरी कर वतन वापसी की तैयारी में लगे रहते हैं. ये दुबई या फिर सऊदी अरब में सक्रिय अपने साथियों को उनकी सूची भेजते हैं। वे वहां उन्हें ढूंढकर अपने सम्पर्क में लाते हुए नकदी एवं टिकट का लालच देकर घर सामान ले जाने की मनुहार करते हैं. सूत्र बताते है कि जो वस्तु दी जाती है उसमें सोना छुपाकर भेजा जाता हैं, लेकिन लेकर आने वाले को बताया नहीं जाता है कि जो वस्तु उसे घर देने के लिए दी गई है असल में उसमें कितना सोना भरा हैं.

गोल्ड स्मगलिंग के कारण राजस्व की भारी हानि

बताया जाता है कि भारत में सरकार द्वारा सोने पर उच्च सीमा शुल्क, विभिन्न प्रकार के भारी करो से बचने तथा मनी लॉड्रिंग के जरिए संगठित अपराध को बढ़ावा देने के लिए सोने की तस्करी की जाती रही है. इसमें सीमा सुरक्षा एवं एयरपोर्ट पर तैनात अफसरों को काली कमाई करने का मौका मिलता है, वहीं स्वर्ण कारोबारियों को तस्करी कर लाया गया सोना सस्ते भाव में उपलब्ध हो जाता हैं, जिससे इसमें संलिप्त कई अन्यों का भी भला हो जाता हैं.