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विद्यार्थियों को किताबी ज्ञान तक सीमित न रहते हुए अपने बौद्धिक विकास पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए: हरिभाऊ बागडे Students should not be limited to bookish knowledge but should focus on their intellectual development: Haribhau Bagde.



पंडित दीनदयाल उपाध्याय शेखावाटी विश्वविद्यालय का पांचवां दीक्षांत समारोह आयोजित

सीकर: पंडित दीनदयाल उपाध्याय शेखावाटी विश्वविद्यालय का पांचवां दीक्षांत समारोह शुक्रवार को राज्यपाल राजस्थान एवं विश्वविद्यालय के कुलाधिपति हरिभाऊ बागडे की अध्यक्षता में आयोजित हुआ। कुलाधिपति बागडे द्वारा कुल 71 विद्यार्थियों को गोल्ड मेडल से नवाजा गया साथ ही कला संकाय के 68571, विज्ञान संकाय के 31961, वाणिज्य संकाय  के 8300, समाज विज्ञान संकाय के 27008, शिक्षा संकाय के 48241 एवं विधि संकाय के 174 स्नातक एवं स्नातकोत्तर दीक्षार्थियों को उपाधि प्रदान की गई।

कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रगान से किया गया। इसके बाद अतिथियों ने द्वीप प्रज्वलित कर सरस्वती वंदना और विश्वविद्यालय कुलगीत गाया। राज्यपाल ने स्टूडेंट को संविधान की उद्देशिका व संविधान के मूल कर्तव्यों की शपथ दिलाई। इस दौरान राज्यपाल बागडे द्वारा निरंजनी अखाड़ा हरिद्वार के महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज, जगदीश प्रसाद सिंघल एवं  बजरंग लाल गुप्ता को मानद उपाधि प्रदान की गई।

इस दौरान राज्यपाल बागडे ने संबोधित करते हुए कहा कि आज का समय विज्ञान एवं तकनीकी का युग है। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को सिर्फ किताबी ज्ञान तक सीमित न रहते हुए अपने बौद्धिक विकास पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी देश हित की भावना को आगे रखते हुए हमेशा नवाचार करें। उन्होंने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय शेखावाटी विश्वविद्यालय शेखावाटी क्षेत्र की उस पावन धरा पर बना है जो सदैव त्याग,बलिदान और परोपकार की भावना से परिपूर्ण रही है। शेखावाटी ने भारतीय सेना को सर्वाधिक सैनिक दिए हैं तथा यहां पग-पग पर शहीदों की गाथाएं गूंजती हैं। उन्होंने कहा कि भामाशाहों की यह धरती जीवन के उदात मूल्यों से जुड़ी है।उन्होंने कहा की विद्यार्थी हमेशा सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ते रहें, बड़े सपने देखे, कड़ी मेहनत करें और कभी भी सीखना बंद ना करें। उन्होंने कहा कि भारत देश कृषि प्रधान देश हैं। पंडित दीनदयाल उपाध्याय चिंतक थे। वे ध्यान में मग्न रहते थे। उन्होंने कलकता के पुस्तकालय में जाकर अर्थशास्त्र का अध्ययन किया, उनके पास बौद्धिक क्षमता थी।पंडित दीनदयाल कहा करते थे कि दरिद्र को नारायण मानों। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि वे देश व समाज के विकास के लिए कार्य करें और समाज के प्रति अपने दायित्वों का निर्वहन करें। 
 
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्रीश्री 1008 स्वामी केलाशानंद गिरी महराज आचार्य महामण्डेलेश्वर निरंजनी अखाड़ा हरिद्वार ने अपने उद्धबोधन में कहा कि प्राचीनकाल में गुरूकुल शिक्षा प्रद्धति थी। भगवान राम, भगवान कृष्ण भी गुरूकुल में गये थे। उन्होंने कहा कि माता,पिता गुरू, राष्ट्र भगवान का रूप है। यदि व्यक्ति में ज्ञान, साधना, चेतना होगी तो राष्ट्र भक्ति की भावना उत्पन होगी। उन्होंने कहा कि भारत विश्व गुरू बनें। भारत में सबसे बड़ा धर्म सनातन धर्म है। उन्होंने छात्र—छात्राओं का आव्हान किया कि वे अपने परम्पराओं, संस्कृति को कभी नहीं भूले।
  
इन्हें मिला शेखावाटी शिरोमणि और शेखावाटी भूषण सम्मान: समारोह में  श्री श्री 108 स्वामी ओमदास जी महाराज सांगलिया, डॉ. ग्यारसी लाल जाट, राजीव के.पोदार को शेखावाटी शिरोमणि सम्मान प्रदान किया गया।  इसी प्रकार भरत हरदत्तराय बियाणी, मदन सिंह काजला, कैलाश तिवाड़ी, छोगालाल सैनी, तंवर सिंह राठौड़, कानसिंह निर्वाण, विनोद भारती, महेश कुमार शर्मा, चरण सिंह, कमलेश पारीक को शॉल, प्रशस्ति पत्र देकर शेखावाटी भूषण से सम्मानित किया गया। 

समारोह में यूनिवर्सिटी के वॉइस चांसलर प्रो.(डॉ.) अनिल कुमार राय,  जिला कलेक्टर मुकुल शर्मा,जिला पुलिस अधीक्षक भुवन भूषण यादव, कुल सचिव श्वेता यादव, संकाय अध्यक्ष डॉ. रविन्द्र कटेवा, पूर्व सांसद सुमेधानंद सरस्वती, हरिराम रणवां, सीकर के पूर्व विधायक रतन लाल जलधारी, भाजपा अध्यक्ष मनोज बाटड़,सहित यूनिवर्सिटी का एडमिनिस्ट्रेशन प्रशासन, प्रोफेसर, संकाय सदस्य, बोर्ड सदस्य व छात्र—छात्राएं मौजूद रहें।