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राजस्थान में भाजपा विधायकों में बढ़ता असंतोष: सरकार के अंदर असहमति गहरी हुई Discontent within the government deepened






■ बाल मुकुंद जोशी

राजस्थान में भाजपा सरकार बनने के बावजूद कई विधायक गहरी पीड़ा झेल रहे हैं। इन असंतुष्ट विधायकों की संख्या लगातार बढ़ रही है। जब प्रदेश में भाजपा ने सत्ता हासिल की थी, तब कुछ वरिष्ठ विधायक मुख्यमंत्री बनने की उम्मीद लगाए बैठे थे, लेकिन कथित "पर्ची" प्रणाली ने उनके सपनों पर पानी फेर दिया। इसके बाद उन विधायकों की बारी आई, जो मंत्री पद की दावेदारी में खुद को मजबूत मान रहे थे, लेकिन उन्हें भी निराशा का सामना करना पड़ा। कांग्रेस भी ऐसा आरोप लगाती रही है कि सरकार में अनुभवी नेताओं और विधायकों की अनदेखी की जा रही है।

भजनलाल सरकार पर सवाल, प्रशासनिक व्यवस्था चरमराई ?

भजनलाल सरकार के 15 महीने पूरे हो चुके हैं। हालांकि, दिल्ली से समर्थन मिलने के बावजूद प्रदेश में आम धारणा यह बन रही है कि सरकार प्रभावी रूप से काम नहीं कर रही है और इसे वास्तविक रूप से कौन चला रहा है, इस पर भी संशय है। प्रशासनिक अमले में अधिकारी असमंजस की स्थिति में हैं, पार्टी कार्यकर्ता दिशाहीन नजर आ रहे हैं, और मंत्री अपने पद एवं संसाधनों का इस्तेमाल तो कर रहे हैं, लेकिन शासन पर उनकी पकड़ कमजोर बनी हुई है। नतीजतन, वे भी भीतर ही भीतर असंतोष महसूस कर रहे हैं।

भाजपा विधायकों में बढ़ता आक्रोश

दिलचस्प बात यह है कि भाजपा के अधिकांश विधायक इस बात से आहत हैं कि चुनाव जीतने के बावजूद वे अपने प्रभाव को बरकरार नहीं रख पा रहे, जबकि पराजित उम्मीदवारों की राजनीतिक सक्रियता बनी हुई है। पार्टी के कई विधायक इस बात से भी नाराज हैं कि विपक्षी दलों के नेता अधिक प्रभावशाली दिख रहे हैं, जबकि भाजपा विधायक अपनी उपेक्षा को लेकर बार-बार पार्टी नेतृत्व के सामने असंतोष जता रहे हैं।

विधायकों की अनदेखी पर मुख्यमंत्री को पत्र

अब कई विधायक खुद के साथ हो रही उपेक्षा को लेकर मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर अपनी पीड़ा व्यक्त कर रहे हैं। हाल ही में नागौर जिले की खींवसर विधानसभा सीट से उपचुनाव जीतने वाले भाजपा विधायक रेवतराम डांगा ने मुख्यमंत्री को एक कड़े शब्दों वाला पत्र भेजा है। उन्होंने साफ लिखा कि अगर यही स्थिति बनी रही, तो आगामी पंचायत और निकाय चुनावों में पार्टी को नुकसान झेलना पड़ेगा।

'सरकार मेरे खिलाफ काम कर रही' - विधायक डांगा का आरोप

विधायक डांगा ने पत्र में लिखा कि उनके क्षेत्र में सरकार उनके ही खिलाफ काम कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि सांसद हनुमान बेनीवाल की राजनीतिक पकड़ इतनी मजबूत है कि सरकार भी उनके इशारों पर चल रही है। डांगा ने यह भी आरोप लगाया कि अधिकारियों की नियुक्ति उनकी सिफारिशों के खिलाफ की जा रही है। मूंडवा पंचायत समिति, जहां उनकी पत्नी गीता देवी प्रधान हैं, वहां सहायक लेखाधिकारी को हटाने की अनुशंसा की गई थी, लेकिन उसे नहीं हटाया गया। उन्होंने इसे उनके राजनीतिक प्रभाव को कमजोर करने की साजिश बताया और आरोप लगाया कि यह सब राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (रालोपा) के नेता हनुमान बेनीवाल के इशारों पर हो रहा है।

भाजपा में जनाधार वाले नेताओं की उपेक्षा?

राजस्थान की राजनीति में चर्चा है कि भाजपा में जनाधार वाले नेताओं को निशाना बनाया जा रहा है, जबकि कमजोर प्रभाव वाले तथाकथित नेताओं को प्रमोशन मिल रहा है। राजनीतिक गलियारों में यह कहावत भी प्रचलित हो रही है - "खुदा मेहरबान तो गधा पहलवान"।