■ बाल मुकुंद जोशी
वैसे तो राजनेताओं का हर तबके से मिलना जुलना आम बात है लेकिन जैसे-जैसे नेताजी की हैसियत बढ़ती है वैसे-वैसे उनका निचले तबके के लोगों से हाथ हिलाने तक का रिश्ता रह जाता है. इस सबके बावजूद राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ऐसे राजनेता है जो अपनी हैसियत को दरकिनार कर उन लोगों के बीच चले जाते हैं जो ऐसे नेता को पाकर अभिभूत होते हैं. जननायक की यह शैली आज उन सभी नेताओं के लिए आदर्श हो सकती है,जो सियासत के पटल पर अपने आप को मजबूत देखना चाहते हैं.
50 वर्ष से अधिक समय से राजनीतिक का सफलता पूर्वक सफर कर चुके गहलोत एक आम नागरिक की हैसियत से जन सेवा के लिए निकले है, उन्हें इस बात का सबसे ज्यादा एहसास है कि एक आम नागरिक राजनेता से क्या चाहता है? सियासत के शिखर पर रहे हो या फिर संघर्ष के दौर में गहलोत ने आम इंसान से जुड़ाव कभी नहीं छोड़ा. यह ही उनकी ताकत थी, है और रहेगी.
कल रात जब गहलोत एक शादी समारोह में शामिल होकर लौट रहे थे तब सड़क किनारे दुकान चला रहे विजय सिंह गुर्जर ने उनकी गाड़ी रूकवाई और स्नेहपूर्ण दुकान पर आने का निमंत्रण दिया. जिसको पूर्व मुख्यमंत्री ने स्वीकार किया. इस दौरान गहलोत ने 50 वर्ष पूर्व की उन बातों का याद किया जब वो पीपाडा रोड,जोधपुर में खाद बीज की दुकान चलाया करते थे.
आज के दौर में लोग अपने अतीत को भूल जाते हैं, वर्तमान पर "फॉक्स"कर भविष्य के लंबे लंबे तानें बानें बुनते हैं. लेकिन गहलोत ऐसे राजनेता है जो अपने पूर्व साथियों,स्थान और अतीत की घटनाओं का उल्लेख करते रहते हैं. इससे उन नेताओं को भी सीख लेनी चाहिए जो कल को भूलकर आज पर इतराते रहते हैं.