बाल मुकुंद जोशी
राजस्थान की भजन लाल सरकार के सीकर सहित तीन संभाग और 9 जिलों को हटाये जाने के निर्णय खिलाफ कांग्रेस बड़ा आंदोलन खड़ा करने की तैयार की है. शेखावाटी के सीकर जिले को इसके लिए अखाड़ा बनाया है.
लंबी लड़ाई के बाद सीकर को पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने जाते-जाते संभाग का और नीमकाथाना को जिले का दर्जा मुहैया करवाया था. इस फैसले से कांग्रेस ने शेखावाटी जनपद के सीकर,झुंझुनूं और चूरू जिले की 21सीटों पर एक तरफा जीत मुकम्मल करने का फांसा फेक था,
जिसमे पंजे को आशातीत सफलता भी मिली. इन जिलों में कांग्रेस ने परम्परागत परिणाम दोहराये जबकि दूसरी ओर भाजपा के पक्ष में वैसे नतीजें नहीं आए जिसकी कल्पना उसने कर रखी थी. एक तरह से कमल के लिए यह जमीन बंजर ही साबित हुई.
इन जिलों ने हाथ का दामन जरूर मजबूती से थाम रखा था लेकिन जयपुर में सरकार भाजपा की बन गई. इससे चर्चा चल पड़ी की गहलोत सरकार के बनाए जिले और संभाग को निरस्त किया जाएगा और ऐसा ही हुआ. एक वर्ष के बाद सीकर को संभाग और नीमकाथाना को जिले के मिले दर्जे से महरूम होना पड़ा. एक साल पहले जो खुशी मिली वह साल के अंत में काफूर हो गई.
दरअसल व्यावहारिक दृष्टि से देखा जाए तो सीकर को संभाग बनाने जाने का कांग्रेस सरकार का निर्णय उचित था क्योंकि सीकर इसके लिए सभी मापदंडों को पूरा करता है. जिस तरह से प्रदेश कांग्रेसाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने अपनी राजनीतिक ताकत के बल पर सरकार में पैरवी कर सीकर को संभाग बनाने में सफलता हासिल की, ठीक उसके विपरीत भाजपा की सरकार बनते ही पार्टी के एक कद्दावर नेता ने डोटासरा के चुनाव के वक्त दिए उस बयान को मद्देनजर नजर रखते हुए जिसमें उन्होंने कहा "चूरु को अब अंगूठे के नीचे रखेंगे" का जवाब सीकर को संभाग का दर्जा हटाकर दिया. वैसे भी भाजपा को लोकसभा हो या फिर विधानसभा चुनाव किसी में वो सफलता नहीं मिलती जिसके चलते उसकी इलाके से दिल्लगी हो जाए.
बहरहाल कांग्रेस और माकपा ने सीकर को संभाग और नीमकाथाना को जिले का दर्जा हटाए जाने के राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ सर्दी में गर्मी अहसास कराने के लिए ताल ठोकी है. आंदोलन की शुरुआत कल सीकर बंद से होगी.