जयपुर: राजस्थान की पूर्ववर्ती अशोक गहलोत सरकार द्वारा बांटे गए 13 लाख पट्टों की जांच जुलाई 2025 से शुरू होगी। भाजपा सरकार ने सत्ता में आने के बाद इन पट्टों की जांच का ऐलान किया था, लेकिन 19 महीने बीतने के बावजूद 50% पद खाली होने के कारण जांच शुरू नहीं हो सकी। कुछ निकायों में शिकायतों के आधार पर की गई जांच में 400 से अधिक फर्जी पट्टे पकड़े गए। अब सभी निकायों के पट्टों की व्यापक जांच होगी।
पद खाली, जांच में देरी
नगरीय विकास एवं आवासन (यूडीएच) मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने बताया कि निकायों में 50% पद खाली हैं, जिसके चलते जांच में देरी हुई। राजस्थान लोक सेवा आयोग (आरपीएससी) से जल्द ही एक्जीक्यूटिव और रेवेन्यू ऑफिसर मिलने की उम्मीद है, जिसके बाद जांच तेज होगी। विधानसभा में विपक्ष ने सरकार को फर्जी पट्टों के मुद्दे पर घेरा था। 21 मार्च 2025 को मंत्री खर्रा ने सदन में कहा था कि फरवरी तक 14 फर्जी पट्टे सामने आ चुके हैं और दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी। पूर्व यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने चुनौती दी थी कि फर्जी पट्टे जारी करने वालों को जेल में डाला जाए। जवाब में खर्रा ने कहा, "अपराधियों को बख्शा नहीं जाएगा।"
नया आदेश: निरस्त पट्टों का कारण दर्ज होगा
नगरीय विकास विभाग ने नया फैसला लिया है, जिसके तहत सभी प्राधिकरणों, यूआईटी और नगरीय निकायों को 3 साल या उससे अधिक समय से अपंजीकृत पट्टों को निरस्त करने का अधिकार दिया जाएगा। जिन पट्टों पर स्टांप ड्यू है, उन्हें निरस्त कर नए पट्टे जारी किए जाएंगे। मंत्री खर्रा ने कहा कि यह आदेश गहलोत सरकार के फर्जी पट्टों की जांच प्रक्रिया का हिस्सा है। साथ ही, निरस्त पट्टों के नोट में कारण दर्ज करना अनिवार्य होगा।
विपक्ष का तंज, सरकार का वादा
विपक्ष ने सरकार पर जांच में ढिलाई का आरोप लगाया है, जबकि सरकार का कहना है कि संसाधनों की कमी के बावजूद फर्जी पट्टों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया जाएगा। जांच के बाद दोषियों पर कार्रवाई और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए नए नियम लागू किए जा रहे हैं।